स्पेस रॉकेट केसे उड़ते है || रॉकेट बनाने में कितना खर्चा आता

स्पेस रॉकेट केसे उड़ते है Rocket Science की वजह से हम पृथ्वी से बाहर की दुनिया में कदम रख पाए है अंतरिक्ष में पृथ्वी से भी बड़े ओर छोटे बहुत सारे ग्रह है जिनका अध्ययन हम rocket science के माध्यम से करते है rocket science की वजह से हम लोग अंतरिक्ष में जा पा रहे है इस पोस्ट में पढ़ेंगे की rocket science क्या है ओर rocket केसे बनते है एक rocket बनाने में कितना खर्चा आता है rocket केसे बनता है

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स्पेस रॉकेट क्या होता है

रॉकेट एक अंतरिक्ष वाहन है या इंजन है जो किसी भी चीज को हवा में धकेलने का कम करता है रॉकेट को उड़ाने के लिए इंधन का उपयोग किया जाता है अधिकतर रॉकेट द्रवित इंधन को गैस में बदल देते है

रॉकेट इंजन जेट इंजन के अलग होते है जेट इंजन भी हवा में उड़ते है ओर रॉकेट इंजन भी हवा में उड़ता है लेकिन जेट इंजन को कार्य करने के लिए हवा की जरुरत होती है लेकिन Rocket इंजन को हवा की जरुरत नही होती है

Rocket अपने अपने साथ खुद कार्य करने वाले समान को लेके चलता है इंधन को जलाने के लिए ओक्सिकारक साथ में लेके चलता है ये ओक्सिकारक इंधन जलाने के लिए ऑक्सिजन का काम करते है rocket में इंधन जलाने का कार्य करने वाले ओक्सिकारक ठोस भी हो सकते है


रॉकेट हवा में कैसे उड़ता है

वैज्ञानिक रॉकेट को हवा में उड़ाने के लिए न्यूटन के एक नियम को काम में लिया जाता है उसको न्यूटन का थर्ड लॉ कहा जाता है या गति का तीसरा नियम कहा जाता है

न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार प्रत्येक क्रिया के सामने विपरीत प्रतिक्रिया होती है रॉकेट में मौजूद गर्म गैस इंधन को तेजी से बाहर की ओर धकेला जाता है तो उसकी विपरीत प्रतिक्रिया में रॉकेट ऊपर की ओर जाता है

इसीलिए न्यूटन के तीसरे नियम को रॉकेट ऊपर उड़ाने के काम में लिया जाता है

रॉकेट इंधन कितने प्रकार के होते है 

मुख्य रूप से देखा जाए तो रॉकेट के कोई प्रकार नहि का नहि होता है लेकिन इंधन के आधार पर रॉकेट दो प्रकार के होते है 

तरल इंधन रॉकेट 

आधुनिक रॉकेट में तरल इंधन का उपयोग किया जाता है लेकिन पहले के रॉकेट में इनका तरल इंधन का उपयोग नहि किया जाता था 

Russia Soyuz में तरल इंधन का रॉकेट यह जिसमें तरल इंधन था

ठोस इंधन रॉकेट

आपने देखा होगा रॉकेट की दोनो साइड में दो बूस्टर लगे होते है जिनमे सॉलिड इंधन होता है

आतिश बाजी के लिए रॉकेट ओर स्पेस रॉकेट में सॉलिड इंधन का उपयोग लिया लिया है

आयन इंधन रॉकेट

आयन इंधन को भी उपयोग में लिया जाता है इसमें ionized gas का उपयोग में लिया जाता है

इलेक्ट्रिक फील्ड की वजह से यह गैस प्रभावित हो सकती है


रॉकेट का उपयोग कहा किया जाता है

अंतरिक्ष की उड़ान में

रॉकेट का उपयोग धरती की सतह या ऑर्बिट को छोड़ने के लिए या फिर कोई भी चीज या सटेलाइट को अंतरिक्ष में पहुँचाने के लिए रॉकेट का उपयोग किया जाता है

रॉकेट बहुत ही भारी होता है तो यह पृथ्वी की ऑर्बिट से बाहर जाने के लिए इसको बहुत हाई ज़्यादा स्पीड से भेजा जाता है इसलिए रॉकेट को पृथ्वी से बाहर भेजने के लिए 9000 से 16000 KM/Hours की गति से भेजा जाता है

कभी कभी इसको अधिक गति से भेजा जाता है क्यूँकि पृथ्वी की कक्षा से जल्दी बाहर भेजने के लिए इसको कभी कभी 28000 KM/ Hours की गति से भेजा जाता है

विज्ञान ओर अनुसंधान के लिए

अंतरिक्ष में या वायुमंडल में विज्ञान के अनुसंधान के लिए रॉकेट का उपयोग किया जाता है क्यूँकि अंतरिक्ष में जाने के लिए आप बिना रॉकेट के केसे जा पाओगे उसके लिए आपको रॉकेट से ही जाना पड़ेगा

यह पृथ्वी की सतह से 50 से 1500 किलोमीटर की दूरी में अगर वेज्ञानिक को कोई अनुसंधान करना होता है तो वह रॉकेट से ही करते है

सेन्य काम के लिए

सेन्य हथियारों को उनके लक्ष्य तक पहुँचाने के लिए रॉकेट का उपयोग किया जाता है इन रॉकेट में guidens system लगाया जाता है

सेना में एंटी टेंक ओर एंटी aircraft में मिसाइलों का उपयोग किया जाता है जो कई किलोमीटर तक निशाना साध सकते है उनके रॉकेट इंधन का उपयोग किया जाता है

स्पेस रॉकेट में भारत का इतिहास

भारत का स्पेस सेंटर है जिसको ISRO कहा जाता है ISRO की स्थापना साल 1962 में हुई थी ओर इसके मुख्य विक्रम सारा भाई थे ओर उनके पास गिने चुने वेज्ञानिको की टीम थी

साल भर के बाद में भारत ने अपना पहला रॉकेट भेजा उसको साइकल पर लाद कर लाया गया था लेकिन आज उसके कई सालो बाद में हम चाँद पर मंगल पर उससे आगे भी यान भेज रहे है यह सब वेज्ञानिको द्वारा की गयीं मेहनत है

भारत में स्पेस प्रोग्राम की शुरुआत

डॉ विक्रम सारा भाई ने 1962 में INKOSPAR सिमिति की स्थापना की थी सारा भाई के नेतृत्व में बनी INKOSPAR सीमित ने तिरुवंतपुरम में स्पेस स्टेशन TERLS की स्थापना की

डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम जोकी इंजिनीयरो की टीम में थे जो बाद में भारत के राष्ट्रपति बने उन्होंने INKOSPAR की स्थापना की उन्होंने TERLS का नाम विक्रम सारा भाई अन्तरिक्ष स्टेशन रखा था

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